SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 16
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अध्याय ७४ १४ पूर्व का यन्त्र ७५ सम्यक पराक्रम के ७३ बोल ७६ १४ राजु लोक ७७ नारकी का नरक वर्णन ७८ भवनपति विस्तार ७६ वाणव्यंतर विस्तार ८० ज्योतिषी देव विस्तार ८१ वैमानिक देव विस्तार ८२ डाला पाला ८३ प्रमाण नय ( १४ ) ८४ भाषा पद ८५ आयुष्य के १८०० भागा ८६ सोपक्रम - निरुपक्रम ८७ हीयमाण- वड्ढमाण सावचया- सोवचया ८५ ८६ ऋत सचय ६० जीवाजीव ६१ संस्थान द्वार संस्थान के भागे ६२ ९३ खेताणुवाई ६४ ६५ चरमपद ह६ ६७ जीव परिणाम पद अजीव परिणाम ६६ वारह प्रकार का तप अवगाहना का अल्पवहुत्व चरमाचरम पृष्ठ ५११ ५१३ ५१५ ५१७ ५२१ ५२५ ५२८ ५३३ ५३८ ५४० ५५३ ५५६ ५५८ ५५६ ५६० ५६१ ५६२ ५६४ ५६५ ५६६ ५७० ५७२ ५७५ ૧૯૬ ५७८ ५७६
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy