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चौवीस दण्डक
१०७ त्रीन्द्रिय मे तीन इन्द्रिय १ स्पर्शेन्द्रिय २ रसनेन्द्रिय ३ घ्राणेन्द्रिय । चौरिन्द्रिय मे चार इन्द्रिय १ स्पर्शेन्द्रिय २ रसनेन्द्रिय ३ घ्राणेन्द्रिय ४ चक्षु इन्द्रिय ।
तिर्यञ्च समूर्छिम मे पाच इन्द्रिय-१ स्पर्शेन्द्रिय २ रसनेन्द्रिय ३ घ्राणेन्द्रिय ४ चक्षु इन्द्रिय ५ श्रोत्रेन्द्रिय ।
६ समुद्घात द्वार . इनमे समुद्घात तीन पावे-१ वेदनीय २ कषाय ३ मारणातिक ।
१० सज्ञी असंज्ञी द्वार : तीन विकले० तथा समूर्छिम तिर्यञ्च पंच०, असज्ञी ।
११ वेद द्वार : इनमे वेद एक–नपुंसक ।
१२ पर्याप्ति द्वार : पर्याप्ति पावे पाच-१ आहार पर्याप्ति २ शरीर पर्याप्ति ३ इन्द्रिय पर्याप्ति ४ श्वासोच्छ्वास पर्याप्ति ५ भाषा पर्याप्ति ।
१३ दृष्टि द्वार : बेइ०, त्रीइ०, चौरि० तथा तिर्यञ्च समुच्छिम पचे० के अपर्याप्ति में दृष्टि दो १ समकित दृष्टि २ मिथ्यात्व दृष्टि । पर्याप्ति में एक मिथ्यात्व दृष्टि ।
१४ दर्शन द्वार . बेइ०, त्रीइ० में दर्शन १ अचक्षु दर्शन चौरि० और तिर्यञ्च संमूच्छिम पंचे० में दो :-१ चक्षु दर्शन २ अचक्षु दर्शन ।
१५ ज्ञान द्वार: अपर्याप्ति में ज्ञान दो-१ मतिज्ञान, २ श्र तज्ञान । अज्ञान दो : १ मति अज्ञान २ श्रु त अज्ञान, पर्याप्ति में अज्ञान दो।
केस जीत में दर्शन र अचलु दर्शन चौरि: और तिर्यञ्च