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तथा आप जो कुछ उत्तर दे रहे हैं, उसको किस शास्त्र के किस पाठ का समर्थन प्राप्त है ?
अन्तिम दसवीं दलील देकर हम इस विषय को समाप्त कर देंगे। भगवान श्ररिष्टनेमि को संयम लेने से पूर्व तेरह - पन्थी श्रावक जितना ज्ञान तो रहा ही होगा।
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यानी इतना तो वे जानते असंख्य २ जीव हैं । ऐसा यहाँ जाने से पूर्व मिट्टी, प्रत्येक के घने हुए
ही होंगे कि जल की एक एक बूंद में होते हुए भी उन्होंने राजमति के ताँबा, पीतल, सोने और चाँदी इनमें से एक सौ आठ घड़ों के जल से स्नान किया। यह कितने जीवों की हिंसा हुई ? फिर बरात सजाकर राजमती के यहाँ गये । उसमें भी कितने स और स्थावर जीवों की हिंसा हुई होगी १ इतनी बड़ी-बड़ी हिंसा के समय तो वे कुछ भी न बोले और राजमति के वहीँ बाड़े में बन्द पशुओं को देखकर कहा
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जइमज्झ कारणा ए ए, हम्मंति सु वहुजिया । न मे एयं तु निस्सेसं, पर लोगे भविस्साई ॥ ('उत्तराध्ययन सूत्र' २२ वाँ अध्याय) अर्थात् — मेरे कारण होने वाली यह बहुत जीवों की हिंसा, मेरे लिए परलोक में श्रेयकारी नहीं हो सकती ।
भगवान् अरिष्टनेमि के लिए पूर्व के इक्कीस तीर्थङ्कर स्पष्ट कह गये थे, कि अरिष्टनेमिजी बाल ब्रह्मचारी रहेंगे और भगवान