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( १७९ ) कत्ताना श्री सिद्धराजजी दहा जेओ कलकत्तानी ईन्डीयन मरचन्द्रसं चेम्बरना मन्त्री छे तथा तरुण.जैनना तन्त्री श्री भंवरमलजी सिंधी ने मलवानो मने प्रसंग मळ्यो. कलकताना . जैनोमा मोटो भाग तेरा-पन्थी मारवाडीओनो छे. तेमनी रहेणी करणी, विचारश्रेणी स्थितीचुस्तता अने अहिंसा सम्बन्धेना खोटा ख्यालोनी विगतवार हकीकतो ए भाइओ पाथी में सांभली... . ... ... . : मारे तेरा-पन्य विषे लखतां पहेलो. तेथी पंण विशेष:माहीति मेळववी-हती. एटले विशेष तपास. करी तो जणायुं के पूज्य श्री जवाहरलालजी महाराज साहेवे 'सद्धर्म मण्डन' नामे एक अन्य लख्यो छे जेमा तेरा-पन्थना आचार्य जीतमलजी: लखेलाएक पुस्तक "भ्रमं विध्वंसन' नु खण्डन करवामां आव्युं छे ते पुस्तक मेळवी जोइ गयो. तेमां शाखना संख्याबंध :आधारो टांकी तुरापन्थी मान्यतामोनुं सफल खण्डन कर्यु छ. मारवाडमा मासंबंधे खुव. वादविवाद थयो हतो' बने थाय छे. श्री सद्धर्म मण्डननी प्रस्तावनामा तेस-पन्थी मान्यताओ संबंधे केटलीक हकीकतो खो छजे आपणे मांनी न शकीए तेवी. कोई पण सम्प्रदाय के व्यक्ति पछी ते जैन होय है। अजैन एवी मान्यताओ घरावे ए. मने तो असंभव लाग्यु. छतां तेनां घणां पुरावाओ आपवामां आवे छे...... .: ' आदी मान्यताओना केटलोच नमुनाओ, ते प्रस्तावनामबाप्या !छे दाखल तरीके