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॥ श्री ॥
|| श्री जनेश्वरदेवाय नमः ॥
श्री चौबीस जिन सत्वन ॥ राग० ' कैसे नोउ मेरो ज्यान सजन विन कैसे जीउरें ॥ एदेशौ• ॥ कुंण तारे भवपारनी जिनंद विन कुंण तारे भवपार || एच० ॥ ऋषभ अजित संभव भजोरे | अभिनंदन सुविलास | सुमति पदम सुपास जीरे ॥ चंद रंथां शिववास ॥ जिनन्द ॥ १ ॥ सुबुद्धि शोतल श्रीयांशजौरे ॥ बास पुज्य भगवंत ॥ बिमल अनन्त धर्म सांत नीरे ॥ प्रणमत भवके अन्त ॥ जिनन्द० ॥ २ ॥ कुंधु भरी मल्लौ तणोरे ॥ समर्ण है सुखकार ॥ मुनिसो व्रत जिनराज कैरे ॥ चरणांकी - धार ॥ जिनन्द० ॥ ३ ॥ नमनाथ एकवीस