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________________ [२४] १२॥ तेतीस हजार वर्ष नौकलियां ।। भूख टखा मनस्या थावैजो ॥ सास उसास थी नीचोमूके ॥ पक्ष तेतीस जावैजौ ॥ दूण ॥ १३ ॥ अवधि ग्यान सुनौचो देखै ॥ नक सप्तमौ हेठे जौ॥ अंचो देखै ध्वजा पताका ॥ तिर्यो ठेटो ठेट जी ॥ इणः ॥ १४ ॥ सवार्थ शिवना सुख भोगवतां ॥ हर्ष बिसवा बोसो जी॥ त्यां एक धारा लेह लीन रह्याछै ।। सुर सागर तेतीशी जी ॥ इण• ॥ १५ ॥ तिण ठामै जे जाय अपना ॥ तेसगला एका अवतारी जी ॥ ते देव चबीनै मनुष्य बहुवै ॥ मोटा कुल मंझारी जी ॥ द्वण ॥ ॥ १६ ॥ साध पणो सुध चोखो पालै । वेद्र सडौ महलायत पावै नौ ॥ थोडा दिन मैं करणौ करनै॥ चवनै मुक्त सिधावै जी ॥ इण० ॥ १७ ॥ इति..
SR No.010338
Book TitleJain Bhajan Prakash 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJoravarmal Vayad
PublisherJoravarmal Vayad
Publication Year
Total Pages113
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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