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________________ . [४ ] ॥१८॥ मांणकहद प्रथम लिकमांजी १ विरधा र हस्तु ३ धार ॥ सति सुवटां'४ जड़ाव ५ कंबरा ६ रामकंवर ७ करपार बरजु ८ सोनार सति सुहागण ॥ नानु १० निजरकंबार ११ मधु १२ चूना ॥१३ टुजी सोना १४ अणची १५ बाला १६ सार ॥3. धन्ना १७ चांना १८ लगनमुं ॥ षष्टमपठदश पाठ ॥ अब कहुंहजुरी ढाल सात्यांनी ॥ मेट भर्मओचाट ॥ काट मुज मवके फंदा ॥ द. १६ ॥ सासु १ बहु २ बेहुं नांव दाखांजी वहु सुहागण ख्यान ॥ कालुरामजी पतिसे जोड़े सुत्त सक्तमल साथ ॥ सति सुहागण नमुनाथांजी ३ ष्टयौराज मुनिहाथ ॥ खेमुंजी चंफा ५ इन्द्रजी ६ ओशवंश अखियात ॥ उ० रभो ७ सति सुहागणी ॥ सौरीपालस जोड़ ॥ सुताखुमाणा ८ संग कुंवारी ॥ लाड कंवर ६ कर कोड ॥ छोड़ दिया' सगपण
SR No.010338
Book TitleJain Bhajan Prakash 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJoravarmal Vayad
PublisherJoravarmal Vayad
Publication Year
Total Pages113
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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