SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 101
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( 2 ) म्हाराजा म्हारो सारी वंछित काम ॥ म्हां. ॥ ५ ॥ हाथ जोड़ भरणी करु नौ खामौ ॥ नमन कर सिर नाम ॥ कृपाकर मुज ननपधारो ॥ म्हारी अधिक बधारो मांम ॥ म्हा राजां म्हारी अधिक - वधारो माम ॥ म्हां. -॥ ६ ॥ सडसठ चैत शुक्लपक्ष बारस ॥.कलकत्तो शुभठाम ॥ जोरावर पभणत यशथारा ॥ सफल भई सुजहांम ॥ म्हाराजां म्हारी सफल भई छ हाम ॥ म्हां ॥ ७ ॥ इति ॥ ___अथ ढाल ५ पांचमी० राम कहरवा ॥ मोय प्यारा जो लगता मोर मुकट बंसीहारा ॥ मोय. एदेशी० मोय प्यारी ज्यो लगती ॥ प्यारी ज्यो लगती मोय प्यारौ ज्यो लगतौ ॥ स्याम सांसन फुन्नवारौ। मोय. ए० दून बाडौके धणां जनेश्वर ॥ श्रीवृद्धमांन उवारौ ॥ मोय ॥ १॥ भिक्षु भारी माल रायगणि सौंची। जय नश कर्ण
SR No.010338
Book TitleJain Bhajan Prakash 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJoravarmal Vayad
PublisherJoravarmal Vayad
Publication Year
Total Pages113
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy