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१ चैत्यालय पठन २ दर्शनविधि : नकार विनती ४ पूजनगामग्री लघुभाभिषेक ६ क्षेत्रपाटपूजा अभिषेर ८ मंगल ९ देवपूजा १० अष्टक ११ जयमाला १० ग्राम १३ नोस नीर्थकरनी आरती १४ शान्तिपाठ १५ विसर्जन आदि विषय है । पृटसरया ४० । मूल्न भई भाना...
आलोचना पाठ-नया ही घर नयार हुआ है। पहले मूल पाठ, फिर शहार्य उनके चार अर्थ और नीचे टिप्पणी भी लगाई गई है । इस प्रकार समान गुन्दर घरा है। विद्यार्थियों के लिये गस उपयोगी पुन्नर है । मूल्य मवा आना।
जैन तीर्थयात्रा विवरण--नया ही छपस गार हुआ है । ऐना महामन्ने प्रमण करके दगमे गा माल दिया है । यम इनफा पागम रग
ज्यि भार माना मग्न वन टानिये वही भी पटिनाई अभया नफलीफ न न होगी। रािया, टहग्नेश म्यान, मार्ग, दूरी, पोर आफिन, सा गार्ग पहलना चाग्यि ? आदि ३ आषयक बानोमा पूर्ण रालामा दिया है । माघमें १ वा नरमा नारे भाग्नपरामर सनिय रसान, कमन नान महित दिया गया है मम्मे मिरर फोटो भी गम्मरित है। मल्य घर भागा।
शीघ्र ही प्रकाशित होगा। ऋपि मंडल पूजन विधान ।
(मत्र यंत्र सहित) __ यह ध मिर्फ पढने लिय ही नही है। भान पल दम प्रयके यत्रोंकी मनोद्वारा याहुन महाशयोंने साधना की है जिसने उनको यगयर यथेष्ट (जगी उनका ई मनोरामना यी) सिनि हुई । इस ग्रंथकामगार अलश्य लाभ उठाना चाहिये । मूल्य अनुमान Injक परीय होगा। दिवालीपाट प्रालित होगा ।
दूसरोंकी छपाई हुई पुस्तकें और ग्रंथ । श्रावक धर्म सग्रह-मास्टर दरयावसिंह माधियाने इमरी फितनेही