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________________ ( ४९ ) अत्युत्तम बजारोंमें से है, अशोक स्तंभ, यहां गोटा किनारी, कपड़े आदिका बहुत व्यापार होता है । जैनमंदिर १५ शिखरबन्द लाखों रुपयोंकी लागतके है । चैत्यालय ७ तथा धर्मशास्त्र २००० है । जयपुर - हिंदुस्थानमें यह शहर भी प्रसिद्ध शहरोंमें से है ' जैनमंदिर शिखरवन्द १२ चैत्यालय ६८ और नशियाजी १८ है शास्त्रसंख्या ४००० है| देखने योग्य स्थान --- महाराजासा० का महल, राम निवास बाग, हवामहल, नयाघाट, पुरानाघाट, । आम लोगों के वास्ते मेओ हास्पिटिल, अजायबघर, पुरानी राजधानी अंबर यहां स्टेशन से आव मील पर एक धर्मशाला है इसके पास ही दो मंदिर है । अजमेर -- यहां मंदिर १० है सेठ नेमीचंदजीकी नशिया वहुत ही मनोज्ञ है । चित्तौड़ - यहां का किला दर्शनीय है । उदयपुर – यह मेवाड़ की राजधानी है । एक बड़ा तालाक अथाह पानीसे भरा हुआ है । यहां कई जैन मंदिर है । इन्दौर - यहां ९ बड़े मंदिर है एक चैत्यालय में ७२ प्रतिमा स्फटिक मणि की है । विद्यालय, बोर्डिङ्ग आदि जैन संस्थाओंको । देखना चाहिये । ठहरनेके लिये नशियांजीमें जैन धर्मशाला है । बड़वानीजी — यहां २ धर्मशाला हैं इनमें ठहरें । बड़े सुबह उठकर बंदनाको जाना चाहिये । ४ मील ऊपर जानेसे १६ मंदिर ४
SR No.010325
Book TitleJain Tirth Yatra Vivaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDahyabhai Shivlal
PublisherDahyabhai Shivlal
Publication Year
Total Pages77
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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