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यहां करोड़ों रुपयोंकी लागतके हजारों मंदिर पहाड़पर हैं. यहांसे भावनगर होकर फिर अमदाबाद जावे वहांसे बड़ोदा होकर पावागढ़हो आ. बाद अंकलेश्वरका टिकट लेकर सजोत हो आवे बाद अंकलेश्वर आकर सूरत जावे वहांसे वारडोलीका टिकट लेकर महुआ हो आवे. वहांसे लौटकर सूरत आवे बाद बंबई जावे.
जैनवद्री मूड बद्रीकी यात्रा ।
बम्बई से पूना, दौड, शोलापूर होकर आरसीकेरी स्टेशन का टिकट लेना चाहिये बम्बईसे शोलापुर का किराया 81 ) तथा वहासे आरसीकेरीका ४|)| लगता है
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नैनवद्री जानेके लिये आरसीकेरीसे २ दिनके लिये खानेका सामान और एक नौकर जो उस देशकी तथा हमारी भाषा समझता हो साथमें ले नावे | यहांसे १० मील पर श्रवणबेलगुल स्थित है । धर्मशाला में ठहरकर पर्वत वंदना करे । पर्वत दो हैं १ - विन्ध्यागिरी २रा चन्द्रगिरी है । पर्वत पर जानेके लिये स्व० सेठ माणिकचंद 1 जी ने सीढ़ियां लगवा दी हैं जिससे बच्चा भी सुगमता से चला जा सकता है । रास्तेमें ३-४ जगह दर्शन मिलते है । ऊपर श्री गोमट्टस्वामी की मूर्ति शांति मुद्रा युक्त करीव ६३ फुटकी ऊँचाई की खड़ी है । भारतमें इसके समान कोई भी प्रतिबिंब नहीं है । इस पहाड़पुर ७ मंदिर हैं ।
चंद्रगिरी - ( श्री. भद्रबाहु श्रुत केवली ) इसपर भी चढ़नेके
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