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________________ (४०) - नम्बर. एंकोंके तीर्थंकरोंके नाम | नाम. | कितने मुनि मोक्ष गये दर्शन करनेका फल | १३ | सुदत्तवर उनतीस कोडाकोडि, धर्मनाथ | | उन्नीस कोडि, नवलाख नवहजार सातसो. पंचाणवे एककोड़ प्रोषधो पवासका फल. नव कोडाकोडि, नवलाख, एककोड़ प्रोषधो१५ | प्रभास शांतिनाथ नवजार नवसो निन्यानवे पवासका फल. । छयानवे कोड़ाकोडि, छयाज्ञानघर | कुंथुनाथ नवे कोडि, बत्तीसलाख छयानवे हजार, सातसो बियालीस. एककोड़ प्रोषधो .पवासका फल. | १६ नाटक निन्याणवेकोडि, निन्यानवे- छयानवे कोडिप्रोषधोअरनाथ | | लाख निन्यानवे हजार पवास फल. शवल, मल्लिनाथ छयानवे कोड़ि एककोड़ प्रोषधोपवासका फल. मुनिसुन निन्यानवे कोड़ा कोड़ि निन्यानवेकोडिनवलाख, | तनाथ नवसो निन्यानवे एककोड़ प्रोषधोपवासका फल. - १९ | मित्रधर | नमिनाथ | नवसो कोड़ाकोड़ि एक अरब, पेंतालीसलाख,सातहजार, नवसो बियालीस.. एककोड़ प्रोषधोपवासका फल.
SR No.010325
Book TitleJain Tirth Yatra Vivaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDahyabhai Shivlal
PublisherDahyabhai Shivlal
Publication Year
Total Pages77
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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