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________________ ( १६ ) अतिशयक्षेत्र — खंडगिरी, उदद्यागिरी, कुंडलपुर भदलीपुर ( कुलुहा पहाड़ ) मिथिलापुरी । २ उत्तर भारत और पूर्व भारतमें सिद्धक्षेत्र दो तथा अतिशय क्षेत्र १४ है । सिद्ध क्षेत्र---मथुरा, कैलाशगिरी ( अगम्य है ) अतिशय क्षेत्र - अयोध्या, अलाहाबाद, अहिक्षित काकन्दी ( किष्कंधापुरी ) कौशाम्बी ( कुसुमपुर ) कंपिला, चन्द्रपुरी, सिहपुरी, वनारस, बटेश्वर, फिरोजाबाद, रत्नपुरी श्रावस्तीनगरी और हस्तनापुर ( इन्द्रप्रस्थ ) है | ३ राजपूताना मेवाड़ और मालवेमें सिद्धक्षेत्र दो और अतिशय क्षेत्र १० है । सिद्धक्षेत्र --- बड़वानी और सिद्धवरकूट है । अतिशय क्षेत्र —- अजमेर, केशरियाजी, चमत्कारजी ( सवाई माघोपुर ) चान्दनगांव, चूलेश्वर, जयपुर, तालनपुर, बनेड़ा, मकशीपार्श्वनाथ, शातिनाथका मंदिर ( झालरापाटन ). ४. गुजरात और काठियावाड़ ( सौराष्ट्र ) में सिद्धक्षेत्र ४ और अतिशय क्षेत्र ४ है । सिद्धक्षेत्र - गिरनार, तारंगा, पागगढ, शत्रुंजय ( पालीताना ) है । अतिशयक्षेत्र – अभीझरा पार्श्वनाथ, (बडाली ) आबूजी, महुआ ( विघ्नहर पाश्र्वनाथ ) तथा सनोत है ।
SR No.010325
Book TitleJain Tirth Yatra Vivaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDahyabhai Shivlal
PublisherDahyabhai Shivlal
Publication Year
Total Pages77
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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