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देव देवलोकको गया । यह बात सच है?"
"हां स्वामिन् ! सही है " कामदेवने कहा ।
फिर श्री महावीर स्वामी बहुत साधु-साध्वीको उद्देश कर कहने लगे :- " अहो आयें ! कामदेव श्रमणोपासकने ( श्रावक ) गृहस्थावासमें रहते देव संबंधी उत्पन्नं भये हुए उपसर्ग सहन किये तो तुम भी वैसे उपसर्ग सहन करनेको शक्तिमान बनो ! | " ये आज्ञा साधु-साध्वीये।ने प्रमाण करी, फिर कामदेव श्रावक अति हर्पित होकर भगवानको वंदन करके जिस दिशा से आये थे उस दिशासे वापिस गये ।
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कामदेव श्रावक, बहुत छ- अहमादिक तपश्चर्या करके. बीस वर्ष तक श्रावक धर्म पालकर, श्रावककी ११ प्रतिमाका स्पर्शकर, एक मासका संथारा कर अपने आत्माको निर्मल करके, ६० टंक भत्तपानीका अणसण छेद आलोचना-प्रतिक्रमण, समाधि - संतोष पाकर, कालके समयमें काल करके सौधर्म देवलोक में सुधर्मावतंसक नामके बडे विमानसे इशान कोने में अरुणाभ विमानमें चार पल्योपमकी स्थितिसे देवता होगा ।
गैौत्तमने पूछा: " भगवन् ! कामदेव श्रावक वहांसे आयुष्य पूर्ण कर कहां जायगा ? "
भगवान बोलेः " हे गौतम! कामदेव श्रावक वहांसे चवकर महाविदेह क्षेत्र में उत्पन्न होकर कर्म क्षय कर मोक्ष पायगा "।