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________________ १७ रू. १००००) दश हजार की शरू में मदद कराई. फलोदी बीकानेर वगेरे शहर में आपश्री के शिष्य प्रवर्तक सुखसागरजी महाराजने श्राश्रम के लीये उपदेश कर के बहुत मदद कराई, श्रोर अभी भी मदद करवाते है. आप और आप के शिष्यगण सद्गुणों के रागी है, किसी तरह के विवाद में नही पड़ते है. इस समय में आप यहां विराजते है. प्रथम चातुर्मास में पन्यास श्री केसरमुनि, बुद्धिमुनिजी वगेरे थे । उन्हों के पास में आपने अपने शिष्यों को वृद्ध योग में प्रवेश कराये. प्रवर्तक मुनि सुखसागर जी मुनि विवेकसागरजी, मुनि वर्धनसागरजी मुनि उदयसागरजी वगेरे को कितनेक सूत्रों के जोग करवाये, आप के साधुसाध्वी अंदाजन सीत्तर (७०) हैं. इस समय ७७ वर्ष की वृद्ध अवस्था होने पर भी सूत्र स्वाध्याय में समय व्यतीत करते हो. ॥ इति शुभम् ॥ " सं. १९९० मिति चैत्र शुदि ८. ली० प्रकाशक.
SR No.010319
Book TitleJain Tattvasara Saransh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurchandra Gani
PublisherJindattasuri Bramhacharyashram
Publication Year
Total Pages249
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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