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( ३७ ) विद्यमान है, इस अपेक्षा से अनन्त द्रव्य होते हैं। क्षेत्र से ढाई द्वीप प्रमाण यह किस प्रकार ? उत्तर-ढाई द्वीप के वाहर चन्द्र सूर्य की गति नहीं होती इस कारण दिवस रात्रि रूप, काल ढाई द्वीप के बाहर नहीं होता है, किन्तु आनिवृत्ति काल और मरण काल, ये तो सर्वलोक व्यापी है। यह किस दृष्टांत से ? जिस प्रकार मंदिर आदि में घण्टा बजता है उस घण्टे का बोलना व माप तो उस मंदिर आदि स्थान में ही होता है लेकिन वस्तु की पर्याय का पलटना तो सर्व लोक में है। फिर भी मुख्य रूप से सूत्र में-"समय खिचए" इत्यादि वर्णन है । अर्थात् समय क्षेत्र अढाई द्वीप को माना है क्योंकि समय का प्रमाण चन्द्र सूर्य की गति से होता है जो अढाई द्वीप में ही है, इसलिए ढाई द्वीप बाहर काल नहीं। ऊंची दिशा में अजीव के ग्यारह भेद तथा नीची दिशा में दस भेद माने हैं । ऐसे ही ऊचे लोक में अजीव के दस भेद है और अधोलोक में ग्यारह भेद माने हैं इत्यादि कारणों से काल द्रव्य क्षेत्र से समय क्षेत्र प्रमाण मानना ही उपयुक्त है । काल से अनादि अपर्यवसित अर्थात् अनादि अनन्त है परन्तु आदेशों की अपेक्षा से सादिसांत है, क्योंकि अमुक वस्तु को एक घड़ी हो गई इत्यादि कथन आदि अन्त वाला होता है इसीलिए आदेश की अपेक्षा काल को सादि सांत माना है । भाव से अरूपी, गुण वर्तना लक्षण ।।