SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 5
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शब्द धर्म प्रेमी बन्धुओं! प्रस्तुत कृति के सम्बन्ध में कुछ कहने से पूर्व इसके अनुवाद कार्य में हुए अत्यधिक विलम्ब के लिए मैं क्षमाप्रार्थी हूँ। मुझे स्वय को इमका पश्चाताप है कि जिस कार्य को सम्पन्न करने के लिए परम श्रद्धय पूज्य प्रवर्तक गुरुदेव श्री पन्नालालजी महाराज साहब का निर्देश मिला उसे मैं उनके जीवन काल में मूर्त रुप न दे पाया। मानव जीवन में अनेकानेक बाधायें आती हैं तथा तात्विक ग्रंथ का अनुवाद भी स्वय में एक समय साध्य कार्य है इन्हीं कुछ कारणों से इस कृति को पाठकों तक पहुँचने में विलम्ब हुआ है जिसके लिए मैं क्षमा चाहता हूँ। प्रस्तुत पुस्तक एक मरुधरीय संतरत्न श्री टीकमदासजी म० द्वारा गुजराती मिश्रित भाषा में संकलित हुई है। सत्वबोध की दृष्टि से प्रस्तुत सकलन भव्य जनों के लिए ज्ञान पिपासा शांत करने में अति लामप्रद जानकर, धर्मानुरागी सुश्रावक श्रीमान् सेठ सा० श्री रतनलालजी सा० वोकड़िया पादूरुपारेल वालों की तरफ से यह प्रेरणा रही कि इस पुस्तक का मरल हिन्दी भाषा में अनुवाद हो जाय तो यह सस्करण जन माधारण के लिए विशेष उपयोगी हो सकता है । अगाध तत्व वारिधि से अमूल्य मणियों को चुनने में इस कृति को समर्थं जानकर एकदा आपने पूज्य
SR No.010317
Book TitleJain Tattva Shodhak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTikamdasmuni, Madansinh Kummat
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Swadhyayi Sangh Gulabpura
Publication Year
Total Pages229
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy