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________________ पृष्ठ सं० १-२८ ३९-७० ९ विषय-सूची क्रम स० विषय १. विषय प्रवेश १. तीर्थंकरोंका उपदेश २. कथनके भेदोंका स्पष्टीकरण ३ प्रकृतमें कतिपय उपयोगी सिद्धान्त ४. निश्चय-व्यवहारका स्वरूप निर्देश ५. उपचरित कथनके कतिपय उदाहरण ६ उक्त उदाहरण उपचरित कथन है इसका खुलासा ७ अनुपचरित कथनका विस्तृत विचार २. वस्तुस्वभावमीमांसा ३ बाह्यकारण मीमांसा १ उपोद्धात २ कारण सामान्यका लक्षण ३ बाह्य कारणका लक्षण ४ शंका-समाधान ५ बाह्य पदार्थमें निमित्तता कब और क्यों ६ बाह्य कारणके दो भेदोंका विचार ७ पर्यायोकी द्विविधता ४ निश्चय-उपादान मीमांसा १ प्रकृत विषयका स्पष्टीकरण २ निश्चय उपादानका लक्षण ३ उपादानके सदृश कार्य होता है ४ उपादान-प्रागभाव विचार ५. दृष्टिका माहात्म्य ५. उभयनिमित्त मीमांसा १. उपोद्धात २. उभयरूपसे निमित्त शब्दका प्रयोग ३ शंका-समाधान ४ व्यवहाराभासियोंका कथन ५. व्यवहाराभासियोंके कथनका निरसन ६. अन्य दर्शनोंका मन्तव्य ७. जैनदर्शनका मन्तव्य र < MS WW < ६७ ७१-९९ १००-१४३ १०२ १०६ १०४ १०६ ११३
SR No.010314
Book TitleJain Tattva Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchandra Jain Shastri
PublisherAshok Prakashan Mandir
Publication Year
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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