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________________ १८४ जैमतत्त्वमीमांसा से वस्तु वस्तुत्वका निर्देश करते हुए बतलाया है कि वह न तो सर्वांचा कूटस्थ नित्य है, और न ही सर्वथा निरन्वय क्षणिक है । किन्तु वह अर्थक्रियाकरणशील है । वह अपने अन्वयरूप स्वभावके कारण अवस्थित रहते हुए भी स्वयं उत्पाद - व्ययरूप है और व्यतिरेकस्वभावके कारण सदा परिणमनशील है । यही वस्तुका वस्तुत्व है । तात्पर्य यह है कि वह द्रव्यदृष्टिसे ध्रुव है और पर्यायदृष्टिसे उत्पाद व्ययरूप है । इसी तथ्यको श्रीप्रवचनसार परमागममें इन शब्दोंमें स्पष्ट किया है ण भवो भगविहीणी भंगो वा णत्थि संभवविहीणो । उप्पादो वि य भगो ण विणा घोव्वेण अत्थेण ॥ १०० ॥ उत्पाद व्ययके बिना नहीं पाया जाता और व्यय उत्पादके बिना नही पाया जाता तथा उत्पाद और व्यय ध्रौव्यस्वरूप अर्थके बिना नही पाया जाता ।। १०० ॥ यह वस्तुस्थिति है । इसीलिए ही प्रमाणके विषयका स्वरूप निर्देश करते हुए प्रमेय रत्नमालाभे यह सूत्रवचन दृष्टिगोचर होता है सामान्य विशेषात्मा तदर्थो विषय ।। ४-१ ।। प्रमाणके द्वारा ग्राह्य सामान्य विशेषात्मक पदार्थ उसका विषय है । इस वचन द्वारा भी उक्त दोनो प्रकारसे निरूपित वस्तुत्वगर्भित वस्तुका निरूपण किया गया है। इसका यह अर्थ है कि जैसे वस्तुका सामान्य अंश परमार्थसे स्वतः सिद्ध है उसी प्रकार उसका विशेष अश भी परमार्थसे स्वतः सिद्ध है । उनका परस्परकी सिद्धिके लिए अपेक्षासे कथन करना और बात है । किन्तु अपेक्षा कथन में है या विकल्पमें है । कोई भी वस्तु या उसका अंश आपेक्षिक नही होता । शंका- जब यह बात है तो आगममे उत्पाद व्ययरूप कार्यको परसापेक्ष क्यो कहा ? समाधान- देखो, पर्यायार्थिकनयसे विचार करनेपर विदित होता है कि प्रत्येक उत्पाद-व्ययरूप कार्य अपने कालमें स्वयं है । वही कर्ता है, वही कर्म है और करण आदिरूप भी वही है । अन्य कोई उसका कर्ता आदि नहीं। फिर भी आगममें उत्पाद व्ययरूप कार्यका जो परसापेक्ष कथन दृष्टिगोचर होता है वह केवल व्यवहारनय ( नैगमनय) की अपेक्षा ही किया जाता है । सो इस समय द्रव्य कैसे उत्पाद लायगर्भ कार्यरूपसे 1 परिणत हो रहा है इसकी प्रसिद्धि करना ऐसे कथा है। नयचक्रमें कहा भी है- 'बिच्छय साहणहेक वबहारो' व्यवहार निश्चयकी
SR No.010314
Book TitleJain Tattva Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchandra Jain Shastri
PublisherAshok Prakashan Mandir
Publication Year
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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