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ast साधु वन्दना
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दशे मुक्ति पहुचा, जिनवर वचन आराध | ६७ | धन्य ग्रर्जुनमाली, कियो कदाग्रह दूर वीर पै व्रत लईने, सत्यदादी हुआ शूर । ६८ । करी छठ छठ पारणा, क्षमा करी भरपूर । छह मासा माही, कर्म किया चकचूर |६|| कुँवर इमुत्ते, दीठा गौतम स्वाम । सुणी वीर नी वाणी, कीधो उत्तम काम | ७० चारित्र लईने, पहुच्या शिवपुर ठाम । धुर आदि मकाई, ग्रन्त ग्रलक्ष मुनि नाम ॥७१॥ वलि कृष्णराय नी, अग्रमहिपी आठ । पुत्र- बहू दोये, सँच्या पुण्य ना ठाठ ॥ ७२ ॥ जादव कुल सतियाँ, टाली दुख उच्चाट | पहुची शिवपुर माँ, ए छे सूत्र नो पाठ |७३। श्रेणिक नी राणी, काली आदिक दश जाण । दशे पुत्र वियोगे, सॉभली वीरनी वाण |७४ चन्दन बाला पै, सयम लेई हुई जाण । तप करी देह भोसी, पहुची छे निर्वाण । ७५। नंदादिक तेरह, श्रेणिक नृप नी नार । सघली चन्दनवाला पै, लीधो संयम भार ॥७६॥ एक मास सथारे, पहुची मुक्ति गभार । ए नेवुं जणा नो, अन्तगड मॉ अधिकार | ७७ । श्रेणिक ना बेटा, जालियादिक तेवीश । वीर पै व्रत लेईने, पाल्यो विश्वा वीश ।७८ ।