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अणुत्तरोववाइय सूत्र वर्ग ३ धन्ना अनगार
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स्सीण धन्ने ग्रणगारे महादुक्करकारए चेव महानिज्जरतराए चेव ।
तण से सेणिए राया समणस्स भगवग्रो महावीरस्स अंतिए एयमट्ठ सोच्चा निसम्म हट्टतुट्ट समण भगव महावीरं तिक्खुत्तो प्रायाहिण पयाहिण करेइ करिता वदइ नमसइ वदित्ता नमसित्ता जेणेव धन्ने अणगारे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता धन्न अणगारं तिक्खुत्तो श्रायाहिण पयाहिण करेइ करिता चदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एवं व्यासी-धन्ने सि णं तुम देवाणुप्पिया ! सुपुण्णे सुकयत्थे कयलक्खणे सुलद्धे ण देवाणु - प्पिया । तव माणुस्सए जम्मजीवियफले त्ति कट्टु वदइ नमंसइ वदित्ता नमसित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समण भगवं महावीर तिक्खुत्तो जाव वदइ णमंसइ, वंदिता णमंसित्ता जामेव दिसि पाउए तामेव दिसि पडिगए ।
तए गं तस्स धन्नस्स अणगारस्स अन्नया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकाल समयसि धम्म जागरियं जागरमाणस्स इमेयारूवे ग्रज्भयिए चितिए मणोगए संकप्पे समूपज्जित्था, एवं खलु अहं इमेणं श्रोरालेण जहा खदयो तहेव चिता ग्रापुच्छृणं, थेरेहि सद्धि विउल दुरुहइ । मासियाए संलेहणाए नवमासा परिया जाव कालमासे कालं किच्चा उड्ढ चदिम जाव णव य गेविज्ज विमाणपत्थडे उड्ढं दूर विश्वइत्ता सव्वसिद्धे विमाणे देवत्ताए उववन्ते ||४३||
थेरा तहेव प्रोयरति जाव इमे से आधारभडए ॥५०॥ भते त्ति, भगव गोयमे तहेव पुच्छर जहा खदयस्स