________________
१६
मोक्षमार्ग
एयाणि वता रहा महेसी. ण कुव्वइ पात्र ण कारवेइ | २६ | किरिया करिय वेणइयाणुवाय, अण्णाणियाणं पडियच्च ठाण | से सव्ववाय इइ वेयइत्ता, उवट्ठिए सजमदीहरायं |२७| से वारिया इत्यी सराइभत्तं, उवहाणव दुक्खखयट्टयाए ।
1
लोगं विदित्ता प्रारं परं च सव्वं पभू वारिय सव्ववार |२८| सोच्चा य धम्म अरहतभासियं समाहिय प्रदूपदोवसुद्ध |
1
तं सहाणा य जणा प्रणाऊ, इंदा व देवाहिव प्रागमिस्सति |२६|
मोक्ष मार्ग
कयरे मग्गे अक्खाए, माहणेण मइमया ?
ज मग्ग उज्जु पावित्ता, ग्रह तरइ दुत्तर |१| तं मग्ग णुत्तर सुद्धं सव्वदुक्ख विमोक्खणं ।
जाणासि णं जहा भिक्खू, तं णो बूहि महामुनी |२| जइणो केइ पुच्छिज्जा, देवा अदुव माणुसा | तेस तू कयरं मग्ग, ग्राइखेज्ज कहाहि णो | ३ | जइ णो केइ पुच्छिज्जा, देवा अदुव माणुसा ।
ते सिमं पडिसाहिज्जा, मग्गसारं सुणेह मे |४| प्रणुपुवेण महाघोर, कासवेण पव्वेइयं ।
जमायाय इम्रो पुव्वं, समुद्द ववहारिणो |५| श्रतरसु तरतेगे, तरिस्संति प्रणागया ।
तं सोच्चा पडिवक्खामि, जतवो तं सुणेह मे | ६ |