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जैन स्वाध्यायमाला
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थावरा, सासय-कड निबद्ध निकाइया जिणपण्णत्ता भावा श्राघविज्जति पण्णविज्जति परूविज्जति दसिज्जति, निदसिज्जति, उवदमिज्जति, से एवं आया, एवं नाया, एवं विन्नाया, एवं चरणकरणपरूवणा आघविज्जइ, से त उवास गढसा ( ७ ) |
सूत्र - ५३ से किं तं अंतगडदसाप्रो ? अतगडदसासु ण अंतगडाणं नगराइ उज्जाणाइ चेइयाइ, वणसडाइ समोसरणाई, रायाणो, अम्मापियरो, धम्मायरिया, धम्मकहाओ, इहलोइयपरलोइया इड्डिविसेसा, भोगपरिच्चागा, पव्वज्जाओ, परिश्रागा, सुपरिग्गहा तवोवहाणाइ सलेहणाओ, भत्तपच्चक्खाणाइ पाओवगमणाइ, अतकिरिया, श्राघविज्जति, श्रतगडदसासु णं परित्ता वायणा, सखिज्जा अणुओगदारा, संखेज्जा वेढा, संखेज्जा सिलोगा, सखेज्जाश्रो निज्जुतीप्रो, संखेज्जाश्रो संगहणी, सखेज्जाओ पडिवत्तीओ से ण अगट्टयाए अट्टमे अगे, एगे सुयक्खंधे, अट्ठ वग्गा, अट्ठ उद्देसणकाला अट्ठ समुद्देसणकाला, सखेज्जा पयसहस्सा पयग्गेण, सखेज्जा अक्खरा, अनंता गमा, अणता पज्जवा, परित्ता तसा अणता थावरा, सासय- कड - निबद्ध निकाइया जिणपण्णत्ता भावा श्राघविज्जंति, पण्णविज्जति परूविज्जति, दसिज्जति निदसिज्जंति, उवदसिज्जंति, से एव आया, एव नाया, एव विन्नाया, एवं चरणकरणपरूवणा आघविज्जइ, से तं अतगडदसाओ (८) ।
सूत्र - ५४ से किं तं अणुत्तरोववाइयदसाओ ? अणुत्तरोववाइयदसासु ण अणुत्तरोववाइयाण नगराई, उज्जाणाई, चेइयाइ, वणसडाइ, समोसरणाई, रायाणो, अम्मापियरो, धम्मा
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