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नन्दीसूत्र-सूयगडाग
निगंथाणं आयार-गोयर-विणय-वेणइय-सिक्खा-भासा-अभासाचरण-करण-जायामायावित्तीग्रो प्राथविज्जति. से समासयो पंचविहे पण्णत्ते, तजहा-नाणायारे, दसणायारे, चरित्तायारे, तवायारे, वीरियायारे,अायारे ण परित्ता वायणा, संखेज्जा,अणुयोगदारा, संखिज्जा वेढा, सखेज्जा सिलोगा, संखिज्जाओ निज्जुत्तीयो, संखिज्जाओ सगहणीप्रो, संखिज्जाओ पडिवत्तीओ, से णं अगट्टयाए पढमे अंग, दो मुयक्खधा, पणवीसं अज्झयणा, पंचासोइ उद्देसणकाला, पचासीइ समुद्देसणकाला, अट्ठारस पयसहस्साई पयग्गेणं, सखिज्जा अक्खरा, अणंता गमा, अणंता पज्जवा, परित्ता तसा, अणता थावरा, सासयकड-निवद्धनिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आघविज्जति पण्ण विज्जति, परूविज्जति, दसिज्जति, निदसिज्जति, उवदंसिज्जति, से एवं पाया एवं नाया, एव विण्णाया, एवं चरण-करण-परूवणा आघविज्जइ । से तं आयारे (१)।
सूत्र-४७ से कि त सूयगडे ? सूयगडे णं लोए सूइज्जइ, अलोए सूज्जइ, लोयालोए सूइज्जइ, जीवा सूइज्जति, अजीवा सूइज्जति, जीवाजीवा सूइज्जति, ससमए सूइज्जइ, परसमए सूइज्जइ, ससमय-परसमए सूइज्जइ, सूयगडे ण असीयस्स किरि. यावाइसयस्स, चउरासीइए अकिरियाईण, सत्तट्ठीए अण्णाणियवाईणं वत्तीसाए वेणइयवाईणं, तिण्ह तेसटाण पासडियसयाणं वहं किच्चा ससमए ठाविज्जइ, सूयगडे ण परित्ता वायणा, संखिज्जा, अणुयोगदारा, सखेज्जा वेढा, सखेज्जा सिलोगा, सखिज्जाओ निज्जुत्तीओ, सखिज्जायो सगहणीओ, सखिज्जाओ