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जैन स्वाध्यायमाला
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वाहणे राया । धम्मरुड अणगारे पडिलाभिए, मणुस्सा उए णिबद्धे इह उववण्णे | सेस जहा सुबाहुम्स चिंता जाव पवज्जा कप्पतरिए जाव सव्वसिद्धे । तश्रो महाविदेहे जहा दढपइण्णे जाव सिज्जिहिइ ५ । एवं खलु जब । समणेणं भगवया महावीरेणं जाव सपत्तेण सुहविवागाण दसमस्स अज्झयणस्स अयमट्ठे पण्णत्ते । सेव भते, सेवं भते त्तिबेमि ।
|| इइ सुहविवागस्स दसम अज्झयण सम्मत्त ॥ णमो सुदेवयाए । विवागसुयस्स दो सुयखधा दुहविवागे य सुहविवागे य । तत्थ दुहविवागे दस अज्झयणा एक्कसरगा दससु चेव दिवसेसु उद्दिसिजति । एव सुहविवागे वितेस जहा भारती
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आयारस्स || १०॥
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॥ इति सुखविपाक्तं सूत्रम् ।।
कमांक 9.75.8
उववाइ सूत्र की बाईस गाथाएँ
जयपुर
कहि पहिया सिद्धा ? कहिं सिद्धा पट्टिया ? | कहि बोदि चइत्ताण, कत्थ गतूण सिज्झइ ॥१॥ अलोगे पहिया सिद्धा, लोयग्गे य पइट्टिया । इहं बोदि चइत्ताण, तत्थ गतूण सिज्झइ ||२|| ज सठाण तु इह भवे, चयंतस्स चरिमसमयंमि । श्रासी य पएसघण, त संठाण तहि तस्स ॥३॥ दीह वा हसं वा जं चरिमभवे हवेज्ज संठाणं ।
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