________________
जैन स्वाध्यायमाला
णिग्गया। तए णं तस्स सुवाहुस्स कुमारस्स तं मया जहा पढमं तहा णिग्गयो । धम्मो कहियो । परिसा राया पडिगया।
तए ण से सुबाहुकुमारे समणस्स भगवो महावीरस्स अतिए धम्म सोच्चा णिसम्म हट्ठ-तुझे। जहा मेहो तहा अम्मापियरो आपुच्छइ । णिक्खमणाभिसेग्रो तहेव जाव अणगारे जाए इरियासमिए जाव गुत्तवभयारी । तए ण से सुबाहु अणगारे समणस्स भगवो महावीरस्स तहारूवाण थेराण अतिए सामाइयमाइयाइ एक्कारस अंगाइ अहिज्जइ, अहिज्जित्ता बाहिं च उत्थछट्ठट्ठमतवोविहाणेहिं अप्पाण भावित्ता बहूइ वासाई सामण्णपरियाग पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाण झसित्ता सद्धि भत्ताइ अणसणाइ छेदित्ता आलोइयपडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे काल किच्चा सोहम्मे कप्पे देवत्ताए उबवण्णे।
से ण ताओ देवनोगाओ आउक्खएण भवक्खएण ठिइक्खएण प्रणतरं चय चइत्ता माणुस्स विग्गह लभिहिइ, लमिहित्ता केवलंबोहि वुझिहिइ वुज्झिहित्ता तहारूवाण थेराण प्रतिए मुडे भवित्ता जाव पव्वइस्सइ । से ण तत्थ बहूइ वासाइ सामण्णपरियाग पाउणि हिइ, पाउर्णािहत्ता आलोइयपडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे काल किच्चा सणकुमारे कप्पे देवत्ताए उबवण्णे। से ण ताओ देवलोगाओ माणुस्सं जाव पव्वज्जा । बंभलोए। तो माणस्स । महासुक्के । तो माणुस्सं । आणए देवे । तयो माणुस्स तो आरणे । तो माणुस्स (तो) सव्वट्ठसिद्धे ।
से ण तो अणतर चयं चइत्ता महाविदेहे वासे जाव अड्ढे जहा दढपइण्णे सिज्झिहिइ बुझिहिइ मुच्चिहिइ परिणिव्वा.