________________
जैन स्वाध्यायमाला
१५६
दसहा उ जिणित्ताणं, सव्वसत्तू जिणामहं ॥३६॥ सत्तू य इइ के वुत्ते, केसी गोयममबवी। तो केसि बुवंतं तु, गोयमो इणमब्बवी ।३७। एगप्पा अजिए सत्त, कसाया इदियाणि य । ते जिणित्तु जहानायं, विरहामि अह मुणी।३८। साह गोयम | पन्नाते, छिन्नो मे ससप्रो इमो। अन्नोऽवि ससो मज्झं, तं मे कहसु गोयमा ! ३९ दीसति बहवे लोए, पासवद्धा सरीरिणो । मुक्कपासो लहुन्भूप्रो, कह तं विहरसी मुणी ! ॥४०॥ ते पासे सव्वसो छित्ता, निहंतूण उवायो । मुक्कपासो लहुब्भूप्रो, विहरामि अह मुणी ।४१॥ पासा य इइ के वुत्ता, केसी गोयममब्बवी। केसिमेवं बुवंतं तु गोयमो इणमब्बवी।४२। राग-द्दोसा-दो तिव्वा, नेहपासा भयङ्करा। ते छिदित्तु जहानाय, विहरामि जहक्कम ।४३। साहु गोयम ! पन्ना ते, छिन्नो मे संसओ इमो। अन्नोऽवि ससो मज्झ, त मे कहसु गोयमा ! १४४॥ अंतोहिययसंभया, लया चिइ गोयमा । फलेइ विस-भक्खीणि, सा उ उद्धरिया कहं ।४५॥ तं लय सव्वसो छित्ता, उद्धरित्ता समूलिय । विहरामि जहानायं, मुक्कोमि विसभक्खण ।४६। लया य इइ का वुत्ता, केसि गोयममब्बवी। केसिमेवं बुवतं तु, गोयमो इणमब्बती।४७।