________________
जैन सुबोध गुटका
(३३७) मतिन, जाके चीर सुखाया न रहे नेम को पतित होतो, देश
ज्ञान समझ या २॥ नारी निदा मत करो नारी रत्न • खान, नापीसिनर पैदा होतीर्थकर से महानं ।। ३॥ पतिव्रता हुई जनक दुलारी, जाने लोक तमाम । पतिके' पहले याद करे सब. देखो सीताराम ॥ ४ ॥ तप जप करके स्वर्ग मोक्षमें, करती नार निवास । लीलावती की गिनत प्रकट है, पढ़लो तुम इतिहास ॥ ५ ॥ चितौड़ गढ़ पर "पद्मनाने,निज पति को छोड़ायो । योनी वाचे प्रवेश होयकर, अपना धर्म बचीया ॥६॥ मनमाड़ से 'विहार करिने, येवला शहर में आया । गुरु प्रसाद चौथमल ने साल छियासी गाया ॥ ७॥
निम्बर ४५६ः । तज"तुमे अपनी तन मन लंगाना पड़ेगाः) । 'तुमे यहां से एक दिन जाना पड़ेगा, इस दुनिया से डेरा उठाना पड़ेगा ॥टेर ॥ तेरे माता पिता और ज्ञाति कुटुम्ब, तुम्हें इन से मोहब्बत हटाना पड़ेगा ॥ १॥ तूं तो शक्त बना दिल जुल्म करे, नतीजा तुमे इन का पाना पड़ेगा ॥२॥ जो कुछ करना हो करलो यह वक्त मिली, नहीं तो वहां रंज उठाना पड़ेगा।३॥ जो मानोगे नहीं तो पड़ोगे नर्क में, फिर रोरो के रंज उठाना पड़ेगा ॥४॥