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________________ (१७) . २६४ ३३८७ श्री जादुपति महाराज .. ३८८ श्री वीर प्रभु से विनति : ३८६ श्री श्री महावीर गुण धीर , ३६० श्री संघ से विनय कर के "२६७ :२२२ ३१६ १४४ ३२४ १२३ १३६१ साल मंगर को जानो ३६२ सखी गिरनारी की । १३६३ सखी बात पर क्यों न ३६४ सखी मान कहन तू . . .३६५ सखी सत्य देऊं मैं ..३६६ सख्त दिल हो जायगा : .३६७ संगत कर लेरे साधु की ३६८ सच्चे देव वही दुम जानो :३६६ सज्जन तुम नेकी कर लेना ४०० सज्जन तुम झूठ मत बेलो. . ४०.१ सज्जन तेरी उन्न जाती ४०२ सज्जन मत बाम्धा कर्म ४०३ सती सीताजी धीज करे । ४०४ सत्य कठिन करारी ४०५ सत्य कभी तजना नहीं - - ४०६ सत्य घरजो सब मानवी .' '४०७ सत्य धर्म धारोरी बहना ...' ४०८ सत्य बात के कहे बिना ४०६ सत्य मत हारणारे । ४ . सत्य शिक्षा सुनता नाहीं.: ४११ सदा जो धर्म पर रहती : - १६४ • ६१ . ४८ १९०४ ५६४
SR No.010311
Book TitleJain Subodh Gutka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChauthmal Maharaj
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year1934
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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