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________________ अन मुबोध गुट (२०७) JAN+Amirmana v ar बालोतरा के मांहीरे | गुरु प्रसादे चौधगल यह, जोड़ बनाईरे । काया० ॥ १० ॥ MeGo २६४ सप्त व्यसन निषेध. (तर्ज दादरा) . यह सातों व्यसन वपुत बुरे तर्क तो करोपा अमोल जन्म जरा ध्यान तो घरो० ॥ टेर । जुना का ख्याल टाल मान कहन तो खरो । शराब खराब प्याला भूल न भरो || सातों ॥१॥ मांग को अमन जान शीघ्र पर हरो । वैश्या जो नार धनकी यार दर से टरो ॥ माता । ॥२॥ प्राणी को समझ प्राण सम शिकार पर हक चोर को कठोर समझ के टरो ॥ सातो० ॥ ३ पर नार त्याग वीतराग भाव ने करो। गुरू.हीरालाल प्रसाद चौथ. मल कहें तिगे ॥४॥ २६५ बाल्यावस्था.. .. (तर्ज-जसोदा मैया श्रय ना घराज नेरी गा) मोरा दे गया. प्यारा लगे तेरा या टेर। मस्तक मुकुट कानों युग कुण्डल । तिलक ललाट लगेगा। रतन यांगनिए रम मम खेले । त्रिलोकी के रिमा रिमा
SR No.010311
Book TitleJain Subodh Gutka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChauthmal Maharaj
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year1934
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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