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जैन बोध गुटका!
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. (२०११
२८७ रसना सीधी बोल.... । . (तर्ज-पनजी मुंडे बोल) . रसना सीधी बोल । तेरे ही कारण से जीवन दुखड़ा ऊपजे ए | रसना० ॥टेरसापांची माही तूंहीज मुखिया, अजय गजब नखरारीए । ऊंच नीच नहीं सोचे बोले, मीटी खारी एारसना॥१॥ माधव से सीधी नहीं बोली, संक जरा नहीं राखीए । कौरव पाण्डव का युद्ध कराया महाभारत सामी । ग्सना०।२।। वसू राज वी झूठ बोलने,नके बीच में जावए । तुझ कारण से जल की मच्छी प्राण गंवावे ए ॥ रसना ॥३॥ एक एक अवगुण सर्व इंद्रियां में, चौड़े ही दर्शाए । वाय बिगाड़े बोल बिगाड़े. तुझ मे दोय रहावे ए । रसना० ॥४॥ ख्याल गग तोचिना सिखाया,तुझ ने केई शात्रए । धर्भ तणा अक्षर की कहे तो तूं नट जावे ए । रसना ० ॥ ५ ॥ लपर २ बोल क्षण पल में, दे तूं राइ कराई है। पंचों में तूं काज विगादे, गांव में फूट पडाई ए। सना ॥ ६॥ लाल बाई और फूल पाई, यह दो नाम ६ थारा ए । मान बहाई की यात करीने जन्म विगाहा ए । रसना ॥ ७ ॥ पर का मम प्रकाशे तूं तो, अहोनिशि करे लपराई ए । साधु सतियों से जूं नहीं चूके, कर बुराई प रसना० || मत बोले बोले तो मोके, मन में गुम विचारी। प्रिय पोले मर्म रहित तं. मान निवारी पारसना० ॥ सन के अनुमारे बोल्या, सर्व जीव मुन्न पाए । महावीर