________________
NAG
AAAAAN
ANMAA AAAAAA
N
wwwwww
दयावंत मुनि
दुकाही का मुंन (रुपचम बार प्रित जीव (ग्य विमान योडि भवि जन मुनी वा
स हरहत विसदाशा एक दिवस मुवकिमीनियास कटिबाय र IS क्षुधावंत भावन पै गयो ।-दंत विना भोजन नहीं दयो ॥ १३ ॥ बहुरि, गये जहां मूलो दंत । देखों ताप्सों महि लिपटत ॥ फणिपतिकी तहं विनती करी । पद्मावती प्रगटी सुन्दरी ॥१४॥ सुन्दर मणिमय पारसनाथ । प्रतिमा पंचरत्न शुम हाथ ॥ देकर करो कुंवर कर भोग । करो क्षणक पूना संयोग ।। १५ ॥ मानविंव निज घरमें घरो। तिहकर तिनको दारिद्र हरो॥ मुख विलसत सेवे सब जाति पनि पूनों पार्श्व मिनेन्द्र ॥१६॥ साकेता नगरी ममिरामालिसाचा शुम धाम || करि प्रतिष्ठा पुण्य संयोग मिलेर संग सो लोग ||१७|| संगचतुर्विधिको सम्मान | वियो याछित दान ॥ देख सेठ तिनकी सम्पदा मान तो तदा ॥ १८ ॥ भूपति तव पूंछो वृतान्त. या कामावर गुणवन्त ॥ देख सुलक्षण ताको रूप मायानन्द भयो सो भूप ॥ १९ ॥ भूपति ग्रह तनुना सुन्दरी | गुणधरको दीनी गुणभरी ॥ कर विवाह मंगल सानन्द । हय गन पुरजन परमानन्द ॥ २० ॥ मनवांछित पाये सुख भोग । विस्मित भये सकल पुर लोग ॥
सुखसे.रहत बहुत दिन भये । तब सब बन्धु बनारस गये ॥२१॥ : मात पिताके परसे पाय । अत्यानन्द हृदय न समाय ।। ' विगटो विषम विषय वियोग | भयो सकल पुरजन संयोग ॥१२॥