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________________ नाशिबालापही सनदतनिस यानानमाहारा खड़े करने जान I हक वारसासन ला को जाननये सातको गुणा अविमहानता ही सप्तगणयुक्ताय साधुपस्मेलिने साधा नि | Fg दोपत्रमिहान समिति पिन इन्द्रीन्दपञ्चEPEE II FIP FINोणावश्यक सप्तभर भिष्ट बीस शुम सच FIFE {{ PIP F-ही सीधुपरमेष्टिने पुणधि निर्वामीसिवाहामा PE 11 FIP fH VEF जयमाला FEN Rai : Os पाहायची परमिट कार जी, ऋद्धि सिद्धिदात ARE "PEन गुणको ममालिका, नो भव्य चित धारी हा II EITE FIEEE FREE जिन HE TOPHET Es Asir Ek TIPREETIME EFFIF AF माहत मिल पाचार्य ज्ञान उहाहाय सिलमानों खाल्लाना नगर्ने इजा सम जहि औड कोयना देखें सम हराकर जगत सोय ॥१॥ शिजलायक शिवकायला आमसो कर्म नाशि शिवलोकना। शिवमग दस्थावत माप म यान मन वचन काय ॥ इक वार सुमरि शिम आगो ला ची बनाया जल एक कानुनमें ना जोमा संकट नाशेगानंहहोममाडीमा 8 महामंत्री नवकार मान । या सम न जगतमें मंत्र मान ॥ जग न मंत्र मंत्री हिलकासरियाना काय ॥५॥ रसकूप पड़ो इक पुरुषादी संचित्ति उपकार कीन ॥ यह मंत्र सुमरि मुस्कीकट कसकथाजगत विभावकीसा मनपुत्र कंकातामह महामंत्री अनार HAPP FR तन देह देव उपनो सुनाय । यह चारुदत्त उपकानाया ॥ - -
SR No.010309
Book TitleJain Siddhanta Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSadbodh Ratnakar Karyalaya Sagar
PublisherSadbodh Ratnakar Karyalaya Sagar
Publication Year
Total Pages422
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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