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जैन सिद्धांत संग्रह |
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इस हिंसा के पापतें पड़े नर्क दुःख पात । नोरकि बहुविध मारते, देवें छाती लात ॥ . अनछानें जलपानका फल
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अनछांनो पानी पियो, तिनकी गतिं लख यार । उलट्यो कर शिलमें घर्यो तापै मुद्गर मार ॥ : रात्रिभोजनका फल
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हंस हंसत निशिमें भखो, कन्दमूल मद मांस नरकनिमें देवें तिनहिं बुरी वस्तुको ग्रास |
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झूठ बोलनेका फल ---
झूठ वचन बोले घने, कूर कपटकी खान । तिनकी जिव्हा असुरगन, काटें छेदें जान ॥
विश्वासघातका फल
देय भरोसा. जिन यहां. कीना कपट अपार । नर्क पड़ें नारकि तिन्हें, पटकें मारें मार ॥ झूठी सौगंध खाय ने, चुगली करें नरकनमें जोरावरी, भूपै देत व्यापार में झूठ बोलनेका फलवस्तु खरीदी अल्पमें, कहे अधिक हमदीन | घोर झूठ कहि पापले, पहुंचे नर्क कमीन || झूठी गवाहीका फल
देत गवाही झूठ जो अपने स्वारथ काज |
पाप बांध नरकहिं पड़े, करते आत्म अकाज ॥
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बिगाड़ |
पछाड़ ||
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