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जैन कथामाला भाग ३१ ब्रह्मदत्त ने उन्हे शिष्य बना लिया। थोडे ही दिनो मे वसुदेव कुमार ने वेद के विद्वान वनकर सोमश्री को वाद मे पराजित किया और उसके साथ विवाह करके मुखपूर्वक रहने लगे।
—त्रिषष्टि०1८२ -वसुदेव हिंडी, नीलयशा एव सोमश्री लम्भक
विशेष-वसुदेव हिंडी मे मातगी के स्थान पर चाडाली शब्द आया है। इसी
(नीलयशा) लम्भक मे भगवान ऋपमदेव का (पूर्वजन्मो महित) विस्तृत
वर्णन है। (१) मोमश्री के पिता का नाम सुरदेव के स्थान पर देवमेन है। (२) मोमश्री लम्भन मे नारद-पर्वत विवाद का विस्तृत वर्णन है ।
बनुदेव ने इसका वर्णन करके मोमश्री के पिता को पिता को तत्त्व ज्ञान दिया।