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श्रीकृष्ण-कथा-कम का पराक्रम
- उसे गभीर विचार मे निमग्न देख कर जरासघ पुन बोला
किस विचार मे निमग्न हो गये ? सकोच की आवश्यकता नही । जो नगरी पसन्द हो, मॉग लो।
कस ने मांगी
-यदि आप मुझे देना ही चाहते है तो मथुरा नगरी का राज्य दीजिए।
हँस कर जरासध ने कहा
-- मथुरा पर तो तुम्हारे पिता का अधिकार है ही। वह तो तुम्हे वैसे ही मिल जायगी । कोई और नगरी मॉग लो।
अपने मनोभावो को दवाकर कस बोला
-पिता के राज्य के रूप मे नही, मथुरा का राज्य आप मेरे पराक्रम के प्रतिफल के रूप मे दीजिए।
--'जैसी तुम्हारी इच्छा' कहकर जरासघ ने मथुरा नगरी कस को दे दी और साथ ही दी वहुत बडी सेना।
जरासध से प्राप्त सेना साथ लेकर कस धकवकाता हुआ राजगृह से मथुरा की ओर चल दिया। ___ मथुरा आकर उसने अपने पिता उग्रसेन को बन्दी बनाकर पिजडे मे रख दिया।
उग्रसेन के अतिमुक्त आदि कई अन्य पुत्र भी थे। पिता के पराभव से दुखी होकर अतिमुक्त प्रवजित हो गये।
कस ने अपने पालनकर्ता सुभद्र वणिक को बुलाकर धन आदि से उसका बहुत सत्कार किया।
उसने अपनी माता धारिणी को वन्दी नही बनाया। धारिणी बार-बार उससे प्रार्थना करती रही कि 'सारा अपराध मेरा है, तुम्हारे पिता का कोई दोष नही। उन्हे इस बारे मे कुछ भी मालूम नही है। उन्हे छोड दो।' किन्तु कस ने उसकी एक न सुनी।