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जैन कथामाला : भाग ३३
इसके बाद मुहिरण्या कई बार कृष्ण नना में गः पिन्तु शाब में उसको ओर ध्यान नहीं दिया। निराश होकर , दिन जमने अपने गले में फांसी का फन्दा दाल लिया। तब उनकी दानी भोगमालिनी ने उसे आश्वासन दिया कि वह उसे शाय में अवश्य मिनाएगी । तब उन दानी ने बुद्धिसेन (शाव का एक नेवस) को वापित रिया और उनके द्वारा शाब के पास मुहिरण्या को भेजा । गधिभर सुहिरण्या गाव कक्ष मे उसके साथ रही तब जाववती और कृष्ण ने उसे स्वीकार कर लिया।
इस प्रकार शाव का विवाह (यद्यपि विधिवत नहीं) सुहिरण्या के साय हो गया।