________________
( १७ )
इनके अतिरिक्त कुछ अन्य ऐसी घटनाएँ हैं जिनका जैन परम्परा मे उल्लेख नही है । उदाहरण स्वरूप - इन्द्र की पूजा बन्द करवाना गोवर्द्धन पर्वतको अगुली पर उठाना, सुदामा - कृष्ण मिलन, गाधारी के शाप से यदु का विनाश आदि ।
कुछ घटनाएँ ऐसी भी हैं जो वैदिक परम्परा मे प्राप्त नही होती । उदाहरणस्वरूप - धातकीखण्ड की अमरकका नगरी के राजा पद्म द्वारा द्रौपदी का हरण और कृष्ण का उसे वापिस लाना, बलभद्र की तपस्या और स्वर्ग गमन आदि ।
श्रीकृष्ण के चरित्र मे सम्बन्धित कुछ घटनाएं ऐसी हैं जो जैन और वैदिक दोनो परम्पराओं मे मिलती हैं, किन्तु उनका रूप भिन्न है । इनमे से प्रमुख घटना है -- उपा - अनिरुद्ध के विवाह के समय श्रीकृष्ण बाणासुर युद्ध | बाणासुर की ओर मे स्वय शकरजी (महादेव) युद्ध मे प्रवृत्त होते है और कृष्ण उनका पराभव कर देते हैं, जबकि जैन परम्परा में शकर नाम का एक साधारण देव बताया गया है और वह भी वाणासुर को इतना ही वरदान देता है कि 'स्त्री-सम्बन्धी युद्ध के अतिरिक्त तुम सभी प्रकार के युद्धो मे अजेय हो ।' इस प्रकार जैन ग्रन्थो मे महादेव के गौरव को पूर्ण रक्षा की गई है ।
जैन और वैदिक ग्रन्थो मे सर्वप्रमुख अन्तर श्रीकृष्ण की आयु के सम्बन्ध मे है । वैदिक ग्रन्थो मे उनकी आयु १२० वर्ष की मानी गई है जबकि जैन ग्रन्थो मे एक हजार वर्ष की । वैदिक गन्थो मे उनका तिथिवार विवरण मिलता है । जीवन की प्रमुख घटनाओ का वर्ष निश्चित है जबकि जैन परपरा मे ऐसी बात नही है ।
१
श्री चिन्तामणि वैद्य की मराठी पुस्तक 'श्रीकृष्ण चरित्र' मे वैदिक परम्परानुमोदित श्रीकृष्ण के जीवन की प्रमुख घटनाओ के वर्ष निम्तानुसार है
(१) मथुरा मे जन्म और गोकुल को प्रस्थान -- विक्रम पूर्व म० ३१२८, भाद्रपद कृष्णा अष्टमी, दृषभ लग्न, रोहिणी नक्षत्र, अर्द्ध रात्रि | (२) गोकुल से वृन्दावन को प्रस्थान – आयु ४ वर्ष, स० ३१२४ वि० पू० (३) कालियानाग का दमन - आयु ८ वर्ष, स० ३१२०वि० पू० ।