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बाल क्रीड़ा में परोपकार
- निमित्तन । देवकी का सातवाँ गर्भ मेरा काल है, यह कथन सत्य है या मिथ्या ? - कस ने निमित्तज्ञानी से पूछा ।
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- राजन् । निस्पृह श्रमणो के वचन कभी मिथ्या नही होते । - निमित्तन ने दृढतापूर्वक उत्तर दिया ।
- वह नकटी वालिका मुझे क्या मारेगी ?
- आप भूल रहे है नरेश । नकटी बालिका देवकी का सातवाँ गर्भ नही है । '
- तुम कैसे कह सकते हो ?
- अपने निमित्तज्ञान के आधार पर ।
क्यो ?
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- महाराज | उस वालिका का कोई भी लक्षण वसुदेव-देवकी से नही मिलता । इसके अतिरिक्त और भी कारण है ।
- तो क्या कहता है तुम्हारा निमित्तज्ञान, देवकी के सातवे गर्भ के संबध मे ?
-वह जीवित है और आसपास ही कही वृद्धि पा रहा है ।
- अपनी विद्या से उसका पता लगाओ । —कस ने निमित्तज्ञ को आदेश दिया ।
१ यह वालिका नन्द और यशोदा की थी जिसे वसुदेवजी गोकुल से ले आए थे और कस ने इसकी नाक वसुदेव की पुत्री समझ कर काट दी थी ।
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