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गाजे वाजिंत्र उबले गुडी ॥ मुंगल नेरीने वाजे नफेरी, जुटे राजुल नेमने हेरी ॥५१॥ गोखें चढीने राजु न नांखे, दोवस दोहोला गया तुम पाखे ॥ कंत तें कांई कामण कीg, मन माहरूं न लाली लीधुं॥५२॥ श्राज फरके ने जिमरे अंग, सहीए थाशे रंगमां जंग ॥ कहे राजुल सुलो साहली, रखे जादव जाए मुज मेली ॥ ॥ ५३॥ पशु पेखीने पायो वैराग, मुगति रमणी शुं कीधोठे राग॥नेमजी पुरवनी प्रीत पालीजें, इभ ग्टकीने व्ह नदीजें ॥२४॥ मुगति मंदिरमा
आवजो मिलरों,सदा सरवदा रामत रमशुं॥ दान संवडरी जिनवर दीधं, नेम राजुलें संजम लीधं ॥५५॥ परवनी प्रीत अविहड पाली, पोहोता मुगतिमां करम प्रजाली॥वेगेविरहनी वेदनाटाली, शिव मंदिरमा जाजो संजाली ॥५६॥ शीलपाले जे चतुर सुजाण, नामे तेहने कोड कल्याण ॥ उद यरत्न कावे इणीपरें बोले, कोई न आवे श्री नेमने तोलें॥६७ ॥ इति ॥ ॥ अथ श्री पार्श्वनाथजीको शिलोको लिख्यते । मात नुवनेश्वरी नुवनमा साची, जेहनी ज