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________________ आठवां दिन ४३३ दूसरी ओर हवा से बात करते हुए घोडो को श्री कृष्ण ने उस ओर बढाया। अर्जुन के गाण्डीव की टकार ने सभी का ध्यान - अपनी ओर खीच लिया। अर्जुन को कौरव सैनिको की ओर बढ़ते देखकर कौरव-महारथियो मे खलबली मच गई। और तुरन्त भीष्म, कृप, सुशर्मा आदि अर्जुन के वेग को रोकने के लिये आ गए । भगदत्त भी वीर अर्जुन की ओर वढा । राजा अम्बप्ठ ने अभिमन्यु को ललकारा, कृतवर्मा और बाल्हीक ने सात्यकि को घेर लिया। अन्य वोर अर्जुन से भिड गए और भीमसेन ने जब धृतराष्ट्र के पुत्रो को अर्जुन की ओर बढते देखा तो भगदत्त का पीछा छोडकर वह उन्ही की पोर बढ गया। अपने एक रथ को पास बुलाकर रथारूढ़ हुग्रा और वाणो की वर्षा आरम्भ कर दी। धृतराष्ट्र के पुत्रो ने भीमसेन को चारो ओर से घेर लिया और अपने अपने रण कौशल का परिचय देने लगे। पर भीमसेन के वारी को रोक पाने की क्षमता किसी मे नही थी। देखते ही देखते कई कौरव लुढक गए। अपने कई भाईयो को इस प्रकार मारे जाते देखकर अन्य कौरव भयभीत हो गए और उस यमराज रूपी भीमसेन से अपने प्राण बचाने के लिए भाग खड़े हुए। भीमसेन ने एक भयकर अट्टहास किया । आरचयजनक बात यह थी कि जिस समय भीमसेन धतराष्ट्र पुत्रो को यमलोक पहुचा रहा था, उस समय द्रोणाचार्य कौरवो की रक्षा के लिए उस पर वाण वर्षा कर रहे थे। किन्तु भीमसन एक ओर द्रोणाचार्य के वाणो को निष्फल कर रहा था, दूसरी ओर कौरवो का मार रहा था । 'अन्त मे कौरवो को भागते देखकर भीमसन ने द्रोणाचार्य को लक्ष्य करके कहा-"प्राचार्य । इन कायरो की रक्षा कर रहे थे प्राप, पीठ दिखाकर भाग जाना जिनका स्वभाव है ." द्रोणाचार्य मन ही मन लज्जित हुए। दूसरी ओर भीम, भगदत्त और कृपाचार्य ने अर्जुन को लनकारा और वे दोनो महाबली उसका रास्ता रोक कर खड हा गा। अति रथी अर्जुन ने पहले पितामह के चरणों की वन्दना वाणा द्वारा की और एक बार सिंह गर्जना करके तीनो पर टूट वाण-युद्ध प्रारम्भ हो गया। पीर उमले वाद विचित्र विनिन प्रस्ना प्रहार होने लगे।। परन्त अति ग्यो अर्जुन ने मभी अस्मा का अपने अस्यो नेव्यर्थ कर दिया और दावोगे अपनी रक्षा
SR No.010302
Book TitleShukl Jain Mahabharat 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShuklchand Maharaj
PublisherKashiram Smruti Granthmala Delhi
Publication Year
Total Pages621
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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