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जैन महाभारत
विवाह की बात जरा विचारणीय है क्योंकि क्रोष्टुकी नामक नैमित्तिक १ ने मुझे बताया था कि जरासन्ध ने सिंहरथ को पराजित कर उसे बन्दी बना लाने वाले से अपनी कन्या के विवाह का निश्चय किया है; किन्तु जीवयशा बड़ी कुलक्षणा कन्या है जिसके साथ उसका विवाह होगा, उसका और उसके वश का सर्वनाश हो जायगा । इसलिए यदि जरासन्ध अपनी पुत्री के साथ तुम्हारे विवाह की चर्चा चलाय तो तुम उसे किसी बहाने से टाल देना ।
यह सुन कर बसुदेव कुमार ने कहा कि नियमानुसार महाराज जरासन्ध की पुत्री जीवयशा के पाणीग्रहण का अधिकार मुझे नहीं प्रत्युत मेरे शिष्य सखा व सारथी कस को है। क्योकि सिहरथ को बन्दी बनाने का कार्य कस के हाथों ही सम्पन्न हुआ है । अतः प्रतिज्ञानुसार राजकुमारी का विवाह कस से ही होना चाहिए । अवसर आने पर मैं यही सब कुछ प्रगट कर दूगा ।
तदनुसार वे लोग सिंहरथ को बन्दी अवस्था में अपने साथ लेकर महाराज जरासिन्ध के दरबार में पहुंचे, तो उन्हे देख जरासध अत्यन्त प्रसन्न हुआ, और अपनी पूर्व प्रतिज्ञा के अनुसार वसुदेव के साथ। जीवयशा के विवाह की चर्चा चलाई ।
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तब वसुदेव कुमार ने बड़ी नम्रता के साथ कहा कि वस्तुतः सिंहरथ को पकड़ने का श्रेय मुझे नहीं मेरे परम- सखा कस कुमार को है । इसलिए अपनी पुत्री का विवाह आपको इसी के साथ करना चाहिये ।
कस रहस्योद्घाटन और राज्य प्राप्ति
वसुदेव की उक्ति सुनकर जरासन्ध आश्चर्य चकित हो पूछने लगा कि यह कस कौन है ? इसके माता-पिता कौन है इसकी जाति-पांति और कुल या अभिजन व गौत्राद्रि क्या हैं? मैं अपनी पुत्री को ऐसे ही किसी के हाथो मे थोड़े ही सौप सकता हॅू। पहले तुम मुझे उसका पूरापूरा परिचय दो। फिर तुम्हारे प्रस्ताव पर विचार किया जायगा ।
'महाराज यह शौरीपुर निवासी श्रेष्ठी सुभद्र का पुत्र है; उन्होंने बचपन से ही शस्त्र विद्यादि सीखने के लिए इन्हे मेरे पास छोड़ दिया था, तब से लेकर ये मेरे पास ही पले, पनपे और बड़े हुए है । मेरे संरक्षण १. ज्योतिपी