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५६२
शुद्ध उसे
उस
पीते
,
उत्कण्ठा पराक्रम
पृष्ठ पक्ति अशुद्ध ४६७ , छा ४७२ ५ समभी
३२ यदि ४७४ १७ रानियो
" उन्होने ४७५ १७ वर ४८२ २३ सीन घर ४८३ ३ पुण्वान
४ ललित
४ क्रुध ४८६ २३ चन्द्रामा ४६२ १८ घार
शुद्ध | पृष्ठ पक्ति अशुद्ध हो , १६ उस पर समझी | ४६३ ७ वह यही ४६६ २६ सहधार्मिणी सहधामिणी रानियो के ] ५०८६ वा
था। वे
५११ ८ पीपे ५१२ १६ उत्कृष्ठा
१६ पराक्रमी पुण्यवान
, ३० इसके इसके पास लालित
J५२१ ३० आंख
| ५२६ १४ सहनुभूति चन्द्राभा | ५४७ ३ द्रपद
। ५४८ ७ द्वामी
सीमंधर
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प्राख मूद सहार .
द्रोपदी
४८.५
बार
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पुस्तक प्राप्ति के अन्य स्थान
१ श्री उल्फत राय जी जैन (मत्री ग्रन्थमाला)
१०५ वैरिड रोड नई दिल्ली २ श्री जैनधर्म प्रचारक सामग्री भडार
जैन उपाश्रय डिप्टीगज सदर दिल्ली ३ श्री सोहनलाल जैन रजोहरण पात्र भडार clo
अम्बाला शहर (पजाब) ४ श्री ला० लच्छीराम रामलाल जैन सर्राफ
. अम्बाला शहर