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'ग्रन इष्ट वस्तु प्राप्त करके उसमें जाक र
जीवन पतन की ओर न जाकर स्थानमा गमा निरन्तर प्रवृत्ति करनी चाहिये ।
पाठवा वह फमे है जिसके उदय हान र गरी करने पर भी इष्ट लाभ की प्राप्ति नहीं हाती दिनमा करने में प्रयत्नशील रहता है। राजकुमारी ने डासमुद्रा कि महाभागे । कठिन परिश्रम करने पर भी इयत्ततरमा पाधा डालने वाला कोनसा कर्म है ? साध्वी बोलीं-हे पला , परयन्तराय नामक कर्म है । अन्तराय का अर्थ है विघ्न वाग. पानि कार्य में विघ्नपडना अन्तराय कहलाता है। पूर्व में "धवा वर्तमान जीवन में किसी कार्य में द्रुप बुद्धि से, अहिनद.
सापट डालने से इस कर्म का सचय होता है । जैसे, किसी नमन निने एक. दीन-दुखी को देख कर करुणा भाव से उसे कुल कला देना पाहा जिन मे कि वह अपना पारिवारिक जीवन सुख पूर्वक विदा सद जितनी पीच एक और व्यक्ति आया और उसने उसे कहा कि निनावानेही