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कंस वध
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से न रहा गया । वे अकस्मात् ही अखाड़े में जा कूदे, वस्त्र उतार दिए और लगोट पहने हुए जाकर चाणूर के सामने खड़े हो गए। लोगों ने जो देखा तो दातों तले उंगली दबा गए । एक ओर हाथी समान शरी और दूसरी ओर पतले दुबले थोड़ी सी आयु के श्रीकृष्ण । लोगों में अनेक चर्चाए होने लगीं। अधिकतर तो इसी पर श्रीकृष्ण की प्रशस करने लगे कि उन्होंने चाणूर के मुकाबले पर जाने का साहस किया।
कुछ लोग जोर से बोल पड़े-"इस उन्मादी ग्वाल बाल को किस ने यहाँ आने दिया, कहां वह मस्त चाणूर और कहा यह दुधमुहा बालक नहीं यह मल्ल युद्ध कैसे हो सकता है ?" ___ कस तो चाहता ही यह था कि किसी तरह चाणूर और कृष्ण की टक्कर हो जाये तो कृष्ण का कांटा चाणूर ही निकाल देगा । वह कुश्ती में ही कृष्ण को मार गिरायेगा और फिर इस छोकरे का बवाल भी कट जायेगा । अतएव वह बोला-जब यह स्वय ही लड़ना चाहता है तो लड़ने दो, तुम लाग क्यों रोकते हो ?" कस की बात सुन कर चारों ओर सन्नाटा छा गया।
श्रीकृष्ण ने चाणूर को सम्बोधित कर के कहा-"तुझे अपने बल का मिध्या अभिमान है। तो फिर आज इस भभिमान को तोड़े देता हूँ।"
"पहले अपनी मां से भी पूछ आया है, हड्डी, पसली का भी पता नहीं चलेगा।" चाणूर श्री कृष्ण के पतले शरीर को देख कर बोला।
भीकृष्ण मुस्कराये-“यह तो अभी ही पता चल जाता है कि कौन किस की हड़ी, पसली तोदता है। पर मेरी बात माने तो अपने स्वामी कस से अन्तिम विदा ले ले । क्योंकि कदाचित् फिर तुझे अवसर नहीं मिलेगा।"
दर्शक राजाओं ने जब यह वार्ता सुनी तो कुछ बोल उठे-"लगता तो पतला दुवला युवक ही है, पर है इसे भी अपने बल पर पूर्ण विश्वास ।"
कुछ राजाओं ने जिनका हृदय करुणा पूर्ण था, कहा-"इतने भैंसें समान तन धारी से इस बालक का मल्ल युद्ध न्याय सगत प्रतीत नहीं 'होता।"
श्री कृष्ण ने उन राजाओं की ओर देख कर कहा-"आप लोग