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जैन महाभारत
था चारों ओर समाचार दौड़ गया कि कृष्ण ने उस उद्दण्ड, चचल और भयानक केशी अश्व को मार डाला है । जो कोई सुनता उसे असीम आश्चर्य होता, जिसने सारे क्षेत्र मे आतक मचा रखा था। उसे श्री कृष्ण ने मार डाला, वह भी बिना किसी शस्त्र के, यह वास्तव में थी भी आश्चर्य की ही बात । परन्तु किसी ने कस का यह न बताया कि केशी अश्व का हत्यारा कौन है ?
कंस ने किर मेष वृषभ छुड़वाया । वृषभ ने सारे क्षेत्र को आतंकित कर दिया, मानव समाज और पशु समाज दोनो ही भय भीत हो गए । अरिष्ट वृषभ ने हिंसक दुष्ट का रूप धारण कर रखा था । यदि कहीं कोई झूठ मूठ ही कह देता कि वह आया अरिष्ट वृषभ, बस सुनते ही लोग बिना जाने पूछे ही भाग पडते, किसी सुरक्षित स्थान की खोज में । श्री कृष्ण से लोगो की यह विपदा न देखी गई। उन्होंने मेष अरिष्ट वृषभ को ठिकाने लगा दिया।
श्री कृष्ण की प्रशंसाएं, अलौकिक बल की दन्त कथाए और यश व कीर्ति चारों ओर दूर दूर तक फैल गई । एक दिन किसी ने वसुदेव से भी जाकर कहा-"आपने सुना नहीं, गोकुल मे एक छोकरे में दिव्य बल है । उस ने केशी अश्व और अरिष्ट वृषम को बिना किसी अस्त्र शस्त्र और प्रहार के ही मार गिराया काली नाग को नाथ लिया है अतः अब उसके बल कमे से प्रभावित होकर लोग उसके चारों ओर गाते बजाते हैं, वह ग्वालों का सरदार है। सारे ग्वाले उस के नेतृत्व में अपार शक्ति के स्वामी हो गये हैं। वह इतना सुन्दर है कि ग्वाल कन्याए व स्त्रियाँ उसके रूप पर मोहित हैं। वे उसके साथ निर्भय, व आनन्दित होकर क्रीड़ाए करती हैं। सभी को उसके चरित्र पर विश्वास है अतएव कोई पिता अपनी कन्या का उसके साथ हास्य विनोद बुरा नहीं समझता व सारी गोकुल नगरी का स्वामी बल्कि हृदय सम्राट् बन गया है। लोग कस की आज्ञा का कोई मूल्य नहीं समझते वे कृष्ण की आज्ञा का पालन करते हैं, वह बेताज का सम्राट् बन गया है। श्याम वदन कृष्ण की लीलाएं बड़ी
आश्चर्य जनक हैं।" ___ वसुदेव ने बात सुनी तो उनकी छाती हर्प से फूल गई। वे मन ही मन अपने लाडले को आशीर्वाद देने लगे, उन्हें अपने पर और