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कर्ण की चुनौती
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था कि समस्त राजकुमारों ने चारों ओर से नकुल और सहदेव को घेर लिया और तलवार चलाने लगे। परन्तु नकुल और सहदेव ने इस गति से तलवार चलाई कि समस्त कुमारों के वार भी व्यर्थ सिद्ध हुए और वे दोनों शीघ्र ही घेरे से बाहर आ गए । लोगों ने हर्षित हो करतल ध्वनि से नकुल सहदेव का उचित सम्मान कियः ।
गदा युद्ध असि परीक्षा की समाप्ति पर लोग सोचने लगे "देखे अब कौन सी कला दिखाई जाती है ?" ___इतने ही में द्रोणाचार्य ने मंच से घोषणा की-"अब आप के सामने गदा युद्ध की परीक्षा होगी। वाण रथ और असि परीक्षा कितनी भयानक थी आप जानते ही हैं । उसमें उतरने वाले कुमार यदि कहीं भी चूक जाते तो प्राण जाने का भय उपस्थित हो सकता था। इसी प्रकार गदायुद्ध का प्रदर्शन भी बडा भयानक होगा। जो लोग परीक्षा में उतरेंगे उनके हाथों में जाने वाली गदाए काल गदा के समान होंगी। अच्छे अच्छे अपने को वीर समझने वाले उन्हें उठा भी न सकेंगे। पर इन कुमारों को देखिये कैसे निर्भय होकर मैदान में आते हैं-भीम
और दुर्योधन | सामने रखी गदाओं को उठाओ और अपनी अनुपम कला का प्रदर्शन करो। यह स्मरण रखना कि यह युद्ध प्रदर्शन के लिए है।"
दुर्योधन ने जब सुना कि भीम से उसे गदा युद्ध करना है तो वह बहुत प्रसन्न हुआ । वह सोचने लगा कि यह एक सुअवसर मिला है भीम को यमधाम पहुंचने का । गदा-युद्ध में मैं दाव पाकर ऐसी गदा मारू गा कि उसकी मृत्यु हो जाये । इससे मेरे मस्तक पर कलंक भी न आयेगा और भीम का भी सफाया हो जायेगा। कोई मुझे दोष देने से रहा, कह दू गा कि गदा चलाते समय चोट लग गई इसमें मेरा क्या दोष ?" इसी लिए तो कहा है कि
दुष्ट न छोडे दुष्टता, नाना शिक्षा देत ।
वोये हूं सौ वेर के, काजल होत न श्वेत ।। दुर्योधन गुरुकी इस आज्ञा से कि युद्ध केवल प्रदर्शन के लिए है अपने दुष्ट विचारों को न दबा सका । वह गदा हाथ में लेकर भीम से उसकी