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कौरव पाण्डवों की उत्पत्ति पाण्डू की बात से धृतराष्डु को बहुत सन्तोष हुआ और विदुर आदि मौन रह गए।
__ गॉधारी ने एक कन्या दुशल्या को भी जन्म दिया था, उसके युवा हाने पर उसका विवाह धूमधाम से सिन्धुपति जयद्रथ के साथ कर दिया गया। तदुपरान्त सारा परिवार सहर्ष रहने लगा । पाँच पाण्डव और १०० कौरव प्रेम से साथ साथ रहने लगे। सभी प्रात ही उठकर पाण्डू धृतराष्ट्र, विदुर और भीष्म जी के चरण छूते, उनके पश्चात् सभी रानिया प्रणाम करतीं और पाण्डव तथा कौरव क्रीड़ा के लिए निकल पड़ते।