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गंधर्व दत्ता परिणय में उमा गय कार्य में किमी भी प्रकार का हस्तक्षेप करने में विवश पपया 'पाप यहां जाकर उसे समझाए तो वह मान लेगा।
तत्पश्चान विष्णु कुमार नमु चि के पास पहुंचे। उन्हें महापद्म के या भाई जानकर नया अपने राज दरबार में उपस्थित देख राजा ने या प्रादर नवार के माथ उठकर उनकी वन्दना की । तर विष्णा घाल'मा पानी की वर्षा काल में यहीं रहने दो । नमुचि ने कहा, पाप स्वामी का महापद्म गजा के हैं प्रापका मुझ पर क्या अधिकार है इसलिए प्राप एन विषय में मुझे कुछ न कहिये। मैंने यह निश्चय कर लिया कि मा श्रमगों को तत्काल इस देश से बाहर निकाल दिया जाय।
तर विण कुमार ने उसे बडे प्रेम मे समझाया कि-इम समय मार्ग प्राची प्राणियों में भरी हुई रहती है इसलिए साधु-साध्वियों के लिए एम समर विटार फरना निषिद्ध है । यदि तुम्हारी बाजा हो जाय, ती नगर में बार तुम्हारे क्यान भवन में ही अपना चर्तुमास
तीन परल । यो कभी नगर में पायगे ही नहीं। इसलिए मेरी पान मानी, नीर मुनिराजा फी चतु माम में विहार करने के लिए पायन पसा