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(१२) गिगोविय संतिकर, सययं मम नि कारणयं च नमसणयं ॥ ५॥ आलिंगरायं ॥ पुरिसा जइ उस्क वार, जर अविमग्गह सुरक कार णं ।। अजिनं संतिंच नावन, अन्नअकरे सरणं पवळाहा ॥६॥ माग हिया ॥ अरइ र तिमिर विरहिअ, मुवरय जर मरणं ॥सुर श्रमुर गरुल तुअग वर, पयय पणि वध ॥ यजिथ महम विध, मु नय नय निनण मन्नयकर, स रण मुवसरिअ नुवि दिविज, मदि सयय मुवरामे ।। 3 ।। सगं